आदर्श,सादगी और नैतिकता ही किसी सिद्धांत के पाँव हो सकते हैं। सत्ता के भूखे लोग इन सबको भूल रहे थे या भूल चुके थे। गांधी की कमाई खाने वाले भी। आम आदमी पार्टी के कुछ सद्यानुभवी युवा-प्रौढ़ों ने गांधी के पथ को अपनाकर , राजनीतिक फैसला किया ,जिसकी घुटे राजनीतिक दलों और उनके अंध-समर्थकों तथा जन-मिजाज को न भांप पाने वाले लोगों ने पहले तो खिल्ली उड़ाई। अब वे ही कह रहे हैं कि ----इस नयी ' बला'से सीखो। बहरहाल , इस तरह की नयी शुरुआत जितनी दूर तक चल सके , चलनी चाहिए ---"-इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए " (दुष्यंत कुमार )
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