Sunday 17 November 2013

क्या हुआ

क्या हुआ
लगभग बीस-पच्चीस साल पहले
हमें जिस नए चबूतरे पर
बिठा दिया गया था
एक थके-हारे लकड़हारे की तरह
और आँखों में
बो दिए गए थे हरे सपने
सावन के अंधों की
बस गयी थी एक बस्ती

क्या हुआ
कि सारी नदियों का पानी
कुछ लोग ही अपने घर ले गए
पहाड़ों को नौच-नौच कर
कर दिया लहूलुहान
जंगल की बोटी-बोटी
खाकर भी अतृप्त हैं
इनकी  भूख का  कोई अंत नहीं

क्या हुआ
कि दस साल के भीतर
इतना गहरा अन्धकार
कि हाथ को हाथ नहीं सूझता
जो एक खूंख्वार हिंसक  जानवर
की राजनीति को
वैधता प्रदान कर
घर के दरवाजे तक ले आया है

क्या हुआ?
क्या हुआ?
यह क्या हुआ ?
किसने किया ?

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