जिन दिनों कलाम साहब को राष्ट्रपति पद की शपथ दिलाये जाने का मुहूर्त उनके
कुछ चहेते निकलवा रहे थे , कलाम साहब ही थे जो यह कह सकते थे कि प्रकृति ने
मुहूर्त के लिए शायद ऐसी कोई योजना नहीं की है | वे सच्चे अर्थों में
वैज्ञानिक थे सिद्धांत और व्यवहार दोनों में |उन जैसे वैज्ञानिक दृष्टि
वाले लोगों की जरूरत बढ़ती जा रही है |उनके जाने से सबसे बड़ी क्षति
वैज्ञानिक दृष्टि की हुई है |वे एक कद्दावर विज्ञान पुरुष थे |उनकी स्मृति
को सलाम |
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