Monday 27 July 2015

जिन दिनों कलाम साहब को राष्ट्रपति पद की शपथ दिलाये जाने का मुहूर्त उनके कुछ चहेते निकलवा रहे थे , कलाम साहब ही थे जो यह कह सकते थे कि प्रकृति ने मुहूर्त के लिए शायद ऐसी कोई योजना नहीं की है | वे सच्चे अर्थों में वैज्ञानिक थे सिद्धांत और व्यवहार दोनों में |उन जैसे वैज्ञानिक दृष्टि वाले लोगों की जरूरत बढ़ती जा रही है |उनके जाने से सबसे बड़ी क्षति वैज्ञानिक दृष्टि की हुई है |वे एक कद्दावर विज्ञान पुरुष थे |उनकी स्मृति को सलाम |

No comments:

Post a Comment