Thursday 30 July 2015

भ्रष्टाचार , अनैतिकता, बेईमानी का प्रसार जैसे जैसे बढ़ता है व्यक्ति की हिंसा सामाजिक हिंसा का रूप धारण करने लगती है |वही धीरे धीरे व्यक्ति के जहन में उतरती जाती है और उसकी स्वीकृति उसे भीतर से एक हिंसक प्राणी में तब्दील करती जाती है |भ्रष्ट आचरण और हिंसा में गहरा रिश्ता होता है |एक हिंसक मनोवृत्ति वाला व्यक्ति ही दूसरे की परेशानी का अनुचित फायदा उठाता है | बेईमानी हिंसा का एक छद्म रूप है |सभ्यता का विकास मानवता के विकास के साथ साथ उन औजारों का विकास भी करता है जिनके भयावह आकार को देखकर लगता है कि अभी मानव को सभ्य बनाने में देर है |हिंसा और हिंसक मानसिकता का फैलाव किसी भी रूप में सभ्यता की निशानी नहीं |प्रतिशोध की भावना हिंसक मनोवृत्ति को गहरा भी करती है और व्यापक भी |


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