Saturday 25 July 2015

भय और प्रेम के रिश्ते को लेकर तुलसी बाबा की कही बात ---भय बिन होय न प्रीत ----किस तरह से समाज में गलत ढंग से एक कहावत की तरह प्रचलित हो गयी है |जबकि सच यह है कि भय के साथ कहीं भी और किसी भी स्थिति में प्रेम जैसा भाव पैदा नहीं होता |जिन माँ---बापों से बच्चे डरते हैं उनसे प्यार कैसे कर सकते हैं |प्रेम उसी स्थिति में होगा जहां भय नहीं होगा | यह अलग बात है कि हम ऐसा कर न पायें |वास्तविकता तो यही है कि भय और प्रेम का दूर दूर का भी रिश्ता नहीं होता |स्कूलों में बच्चों को डराकर शिक्षा देने का आम रिवाज रहा है किन्तु उसने कितना नुक्सान किया है इसका कोई हिसाब नहीं है |चालीस--पचास साल पहले की बात है जब मेरे दो छोटे भाई इसलिए स्कूल जाने से बैठ गए क्योंकि वहाँ अध्यापक बिना मारे---पीटे बात ही नहीं करते थे |वे स्कूल जाने से पहले रोने लगते थे |जब वे जाते नहीं थे तो घर पर मार पड़ती थी तो वे स्कूल का बहाना करके कहीं जाकर छिप जाते थे |बाद में वे धोखा देने लगे |आज भी कई बच्चे ऐसे देखे हैं जो स्कूल जाने से पहले डरकर रोने लगते हैं |इस तरह के लोगों को अध्यापक नहीं बनाया जाना चाहिए जो बच्चों से अक्सर मार---पीट करते रहते हैं |यह व्यक्ति का सामन्ती और निराशावादी व्यवहार है जब वह मार् पीट कर डर से अपना काम निकालता है |यही वजह है कि लोग चोर---डाकुओं से प्यार नहीं करते , डरते जरूर हैं |भय ने लोगों को निकम्मा और ढीठ बनाया है स्नेही नहीं | पुलिस और प्रशासन से कौन प्यार करता है |सत्ता से भी लोग भीतर ---भीतर नफरत करते हैं जैसे गुंडे का कोई सम्मान नहीं करता उससे डरता है |डर,का सम्मान और प्रेम से कोई वास्ता तक नहीं होता |तुलसी बाबा ने जो बात कही है उसकी लोग अक्सर नजीर देते हैं लेकिन यह नहीं सोचते कि यह कितनी गलत ,खतरनाक और लोकतांत्रिक मूल्य विरोधी बात है |यह कदाचित उन्होंने तुक मिलाने के लिए कह दी है और ज्यादा सोच---विचार नहीं किया है |जबकि उनके यहाँ ही राम से लोग प्रेम करते हैं किन्तु वहाँ भय नाम का लेश भी नहीं है |सब नर करही परस्पर प्रीती |यह राम राज्य की एक विशेषता है आपस में सब डरकर रहते हैं यह नहीं |जहां लोग आपस में डरकर रहते हैं और एक दूसरे पर अविश्वास करते हैं , समझो समाज के भीतर कोई भारी गड़बड़ी है |यह बीमारी का लक्षण है |रावण से कोई प्रेम नहीं करता उसकी चापलूसी ---खुशामद करते हैं |दरबारी लोग इसीलिये समय आने पर अपना स्वामी बदलने में देर नहीं लगाते |इसलिए भय और प्रेम के सम्बन्ध का विचार उस दिमाग की उपज है जो सामन्ती परिस्थितियों में निर्मित हुआ |

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