महान
रचनाकार प्रेमचंद के बारे में लगभग साठ साल पहले मुक्तिबोध ने कहा
था------"प्रेमचन्द उत्थानशील भारतीय सामाजिक क्रान्ति के प्रथम और अंतिम
महान कलाकार थे " और यह भी लिखा कि---- "प्रेमचन्द की भावधारा वस्तुतः
अग्रसर होती रही ,किन्तु उसके शक्तिशाली आविर्भाव के रूप में कोई लेखक
सामने नहीं आया |" क्या यह चुनौती आज तक नहीं बनी हुई है ?
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