यदि कवि के मुहावरे में ठहराव होगा तो कविता भी ठहर जायगी |तत्त्व के लिए
संघर्ष से लगाकर कवि को अभिव्यक्ति के संघर्ष तक की यात्रा पूरी करनी होती
है | इसीलिये अभिव्यक्ति के क्षण को मुक्तिबोध तीसरा और सबसे लंबा क्षण
मानते हैं |एक बार मुहावरा अर्जित कर लेने वाले कवि ठहराव के शिकार खूब
होते हैं |इसलिए मुहावरा भी एक विकसनशील प्रक्रिया ही है | वह कविता की
अंतर्वस्तु से संबद्ध है |रीतिवाद का खतरा तब आता है जब कवि तत्त्व के लिए
संघर्ष करना बंद कर देता है | तब वह दोनों स्तरों पर ठहराव का शिकार हो
जाता है |
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