मन की गुफा में
आसीन
प्रतिशोध का प्रेत
रक्तपान किये बिना
कभी संतुष्ट नहीं होता
उसके लिए
रक्त चाहिये सिर्फ रक्त
खप्पर में रक्तपान
मुखमुद्रा भयावह
उसकी फौजों ने छावनियां बना ली हैं
और वे
विभिन्न रंगों
और झंडों में बटकर
अपना उल्लू सीधा करने में लगी रहती हैं |
एक ऐसा युद्ध
जो सतत चलता है
जिसका कोई इलाज़
प्रेतात्मा विहीन मानव
अभी तक
नहीं खोज पाया |
आसीन
प्रतिशोध का प्रेत
रक्तपान किये बिना
कभी संतुष्ट नहीं होता
उसके लिए
रक्त चाहिये सिर्फ रक्त
खप्पर में रक्तपान
मुखमुद्रा भयावह
उसकी फौजों ने छावनियां बना ली हैं
और वे
विभिन्न रंगों
और झंडों में बटकर
अपना उल्लू सीधा करने में लगी रहती हैं |
एक ऐसा युद्ध
जो सतत चलता है
जिसका कोई इलाज़
प्रेतात्मा विहीन मानव
अभी तक
नहीं खोज पाया |
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