Tuesday 28 July 2015

किसी भी तरह की सत्ता के प्रति व्यक्त किये गए सम्मान में कृतज्ञता के भाव के अलावा कहीं स्वार्थपूर्ति के अवसर का मनोविकार भी छिपा रहता है |इसीलिये सम्माननीय तब तक सम्माननीय बने रहते हैं जब तक सत्ता --च्युत नहीं कर दिए जाते |असली सम्मान वही है जो सत्ताच्युत होने के बाद सिर्फ बना ही नहीं रहे वरन बरसाती नदी की तरह उमड उमड़ जाय |

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