Sunday 1 December 2013

वह मतदाता बधाई का हक़दार है , जो लोकतंत्र की प्रक्रिया में स्वप्रेरणा से भागीदार बना है । इसी वजह से कल राजस्थान विधान सभा के गठन के लिए जिस तरह उमंग-भाव से मतदान हुआ ,वह इतिहास के एक मील-प्रस्तर की तरह बन गया । इस बार हर बार से अधिक ७४ प्रतिशत से अधिक मतदान होने के  कई मायने निकल रहे हैं , सही बात तो परिणाम ही बतलायेंगे किन्तु इतना जरूर है कि  वे चौंकाने वाले हो सकते हैं ।बहरहाल,  लोकतंत्र  की प्रक्रिया में लोक की भागीदारी का बढ़ना स्वागत योग्य है । निर्वाचन विभाग की व्यवस्थाएं ,प्रचार तंत्र , विकसित होती राजनीतिक प्रक्रिया  , सत्ता पाने की लालसा -आकांक्षा ,जाति -सम्प्रदायों की अपने नेता चुनने की संकीर्ण सोच वाली  ध्रुवीकृत एकजुटता, नए  मतदाताओं  की सक्रियता , पार्टीगत  मनोरचना आदि की भूमिका से जो माहौल बना , उसने मतदाता  को  उत्साहित  करते हुए पोलिंग बूथ तक पहुचाया । यह शुभ संकेत है जो आगे राजनीतिक प्रक्रिया को और सुदृढ़ करेगा , ऐसा माना जा सकता है ।  

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