Tuesday, 31 December 2013

नए साल में करता हूँ मैं
सबकी मंगलकामना ।

खिलते फूलों -सी हर घर की बगिया हो ।
फागुन के आँगन -सा मन रंगरसिया हो । ।
एक अकेला ही ना हो,मालिक वैभव का ,
हर पेड़ जगत में , चन्दन -वन का बसिया हो । ।
सबको सब कुछ मिले, तभी कुछ जानना
नए साल में करता हूँ मैं
सबकी मंगलकामना

सीढ़ीनुमा जिंदगी से सबका पीछा छूटे
बंधन और पाश की दुनिया से सबका नाता टूटे
सब स्वाधीन,  स्वतंत्र ,सभी के पूरे हों सपने
कोई एक कभी दुनिया को ,डाकू-सा बन ना लूटे
वह भी दिन आयेगा जब ,
ना हो जन की अवमानना ।
नए साल में करता हूँ मैं
सबकी मंगलकामना

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