कितना -कितना
समयहीन
समय ,
गायब नाक-नक्श
चेहराविहीन |
सूरज की किरण
तमपाश में
मधुयामिनी
पुलकित
रासक्रीडामें व्यस्त
समय का दार्शनिक
भूलभुलैयों में |
महलों की
मुंडेरों को छूने की
होड़ सर्वत्र
राजनेता,सर्वोच्च शिक्षाविद
पत्रकार ,सम्पादक ,लेखक
कलाकार
गलियों-राजमार्गों पर
खड़े
पांत-दर पांत
ताकते
समयशून्य समय को |
No comments:
Post a Comment