जहां तक अच्छे सृजन का सवाल है , मुक्तिबोध और ६ शताब्दी पहले कबीर एवं आधुनिक कवि निराला की कविता में से समय का तनाव निकल जाए तो उसका वह महत्त्व नहीं रहेगा जो आज स्थापित है | आज लिखी जा रही कविताओं की सबसे बड़ी कमजोरी ही यही है कि वे समय के तनाव को दरकिनार कर रही हैं |आज बहुत मीठी मीठी कवितायें लिखे जाने का रिवाज चल पडा है और उसको लगातार सराहने वालों की तादाद भी बढ़ती जा रही है |
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