पहाड़ हमारी आत्मा का वह स्थल है जहां हृदय और मस्तिष्क एक बिंदु पर मिलते हैं |कालिदास ने इसी वजह से हिमालय को नगाधिराज कहते हुए पृथ्वी पर मानदंड की तरह स्थित बतलाया | अल्मोड़ा - कौसानी के अनुभवों का बयान करने के लिए शब्द नहीं हैं | पुनेठा जी और राजीव पन्त के अहैतुकी व्यवहार ने मन को मोहपाश में बाँध लिया |कौसानी में प्रकृति के प्यारे कवि पन्त की जन्म -स्थली और गांधी जी के अनासक्ति-आश्रम के साथ देवदारू तरुओं की ऊंचाई के बीच लगातार उच्चता की त्रिवेणी मन में प्रवाहित होने लगती है |यह भी अनुभव किया कि पहाडी जीवन में अस्तित्त्व-गत सक्रियता वहां की जरूरत बन जाती है |
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