जब देश की आजादी के लिए लड़ाई लड़ी जा रही थी तब भी सभी लोग एक जैसे नहीं थे |राजा -महाराजा ,नबाव -जागीरदार, सामंत , धन्ना-सेठ , रायबहादुर , राजा, सर आदि खिताब पाए लोग औपनिवेशिक शासन के विरोधी नहीं थे |ये कुछ ही लोग थे जिन्होंने आजादी की अलख जगाई थी और अपने प्राणों तक को डाव पर लगा दिया था | प्रेरक लोग हमेशा से अल्पसंख्यक रहे हैं और बहुसंख्यक वैसे ही , जैसे आप बतला रहे हैं | सूरज तो अकेला ही होता है जो अन्धकार को दूर करता है |हाँ, इतना जरूर है कि इसके लिए कुछ त्याग आदि का कष्ट उठाना पड़ता है |
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