मैं गया हूँ जगदलपुर दो बार | आदिवासियों का घर था एक जमाने में ,अब कुछ दूर हैं क्यों कि उनकी जगहों पर नए शहर बस रहे हैं | सीरासार चौक है यहाँ जहां दशहरे के अद्भुत आदिवासी विराट लोकोत्सव में बड़े छोटे रथों का उपयोग होता है | आदिवासियों की "बस्तर लोक-कला " से यहाँ निकटता से परिचय होता है |प्राकृतिक सौन्दर्य कोष का अवलोकन कर आप ठगे से रह जायेंगे | कोटमसर गुफा , चित्रकोट जल प्रपात देखकर आप यहाँ की प्रकृति से आँख उठा नहीं पायेंगे | फिर सूत्र- सम्मान का आयोजन करने वाले विजय सिंह यहाँ "बंद टाकीज" के सामने उपस्थित मिलेंगे | और भी बहुत कुछ है यहाँ , मिलनसार देशज प्रकृति वाले लोग | देव्दीप जी अवश्य जाईये ------अवसि देखिये देखन जोगू |
No comments:
Post a Comment