Sunday, 15 January 2012

मैं गया हूँ जगदलपुर दो बार | आदिवासियों का घर था एक जमाने में ,अब कुछ दूर हैं क्यों कि  उनकी जगहों पर नए शहर बस रहे हैं | सीरासार चौक  है यहाँ जहां दशहरे के अद्भुत आदिवासी विराट लोकोत्सव में बड़े छोटे रथों का उपयोग होता है | आदिवासियों की "बस्तर लोक-कला " से यहाँ निकटता से परिचय होता है |प्राकृतिक सौन्दर्य कोष का अवलोकन कर आप ठगे से रह जायेंगे | कोटमसर गुफा , चित्रकोट जल प्रपात  देखकर आप यहाँ की प्रकृति से आँख उठा नहीं पायेंगे | फिर सूत्र- सम्मान का आयोजन करने वाले विजय सिंह यहाँ "बंद टाकीज" के सामने उपस्थित मिलेंगे  | और भी बहुत कुछ है यहाँ , मिलनसार देशज प्रकृति वाले लोग | देव्दीप जी अवश्य जाईये ------अवसि देखिये देखन जोगू   |

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