हँस रही
खिलखिलाकर
पूस की ठिठुरती
धूप में
गुलदाउदी
इन दिनों |
वल्कल-वसना
वनवासिनी
तन्वी
शकुन्तला
अठखेलियाँ करती
सखियों संग
जैसे |
निहारता हूँ
जब-जब
आते-जाते
खिल उठते
फूल
मन में
दाउदी के |
खिलखिलाकर
पूस की ठिठुरती
धूप में
गुलदाउदी
इन दिनों |
वल्कल-वसना
वनवासिनी
तन्वी
शकुन्तला
अठखेलियाँ करती
सखियों संग
जैसे |
निहारता हूँ
जब-जब
आते-जाते
खिल उठते
फूल
मन में
दाउदी के |
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