जाति और वर्ण-तंत्र , मजहब, चुनाव , नेता, पूंजी, पितृ-सत्ता और बाहु बल से बनता है हमारा " लोकतंत्र " ।गरीब मतदाता का भी एक दिन होता है , । यह दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र कहा जाता है । संतोष के लिए मजहबी तंत्रों से तो लाख गुना बेहतर है । इस तरह के लोकतंत्र की विकास दर निकालें तो दुनिया में हम नम्बर एक होंगे । चलो कहीं तो हैं हम नंबर वन ।सामंती तंत्रों से , निस्संदेह कई कदम आगे । इसमें हमारा शिक्षा तंत्र भी पीछे नहीं रहता । 'संस्कृति' इस जुलूस में सबसे आगे चलती है । इन दिनों तमाशे के दिन फिर आ गए हैं । चलो तमाशा देखें और अपनी तरह से हिस्सेदारी करें । बदलते और गलती करते कुछ न कुछ नया होता ही है । आदर्श जैसी चीज एक दिन में नहीं बना करती ।
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