आज राजस्थान की १४ वीं विधान सभा के लिए मतदान हो रहा है । हम दोनों अपने मताधिकार का प्रयोग करके अभी अभी आये हैं । इस समय वैसे भी उछिड़ रहती है । हेमंत की निखरीं धूप खिली हुई है । सारे प्रबंध चाक- चौबंद हैं । देखिये ऊँट किस करवट बैठता है ? फिर भी राजनीतिक समझदारी इसी बात में है कि तानाशाही प्रवृति को नकारा जाए । लोकतांत्रिक संस्थाएं बनी रहेंगी तो आगे बदलाव की सम्भावना भी बनी रहेंगी ।किसी विशेष भावना के ज्वार में बह कर मतदान करने का मतलब है , लोकतंत्र , जैसा भी है , को कमजोर करना । राजनीतिक विश्वदृष्टि और इस समय की जरूरत को देखते हुए अपने मत का प्रयोग करना अपने और देश के भविष्य के लिए बेहद जरूरी है ।
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