Saturday, 23 November 2013

नेपाल में प्रचंड को जनता ने अपनी जगह बता दी । प्रचंडता में मनोहरता के विरुद्ध  का सामंजस्य जब तक नहीं होगा तब तक जन-स्वीकृति दीर्घकाल तक नहीं टिकती , एक पक्ष को जन थोड़े समय ही स्वीकार करता है । उसकी अति से ऊब जाता है । प्रकृति का सिद्धांत भी संतुलन में है अतिवाद में नहीं ।

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