कविता व्यक्ति के भाव बोध को उजागर करके उसे सक्रिय बनाने का काम करती है और उसकी चेतना के अनुरूप सौंदर्य बोध का विकास भी , बशर्ते कि कवि अपने आचरण से भी मेहनतकश वर्ग से संबद्ध रहे और अपने अवसरवादी रुझान से सदैव लड़ता रहे । जो लोग खुद से नहीं लड़ पाते , वे धीरे धीरे अवसर की नाव में बैठकर नदी पार करने लगते हैं ।
No comments:
Post a Comment