Friday, 1 November 2013

विकल्प की बात सही है पर सार्थक विकल्प के अभाव में जीवित मक्खी भी तो नहीं निगली जा सकती । मतदाता के रूप में हर व्यक्ति एक स्वतंत्र मतदाता है , फिर चाहे वह कितना ही बड़ा कलाकार क्यों न हो ? यहाँ सब बराबर हैं । हमारी अपनी राय ही हमारा सबसे बड़ा विकल्प है , पहले सही राय तो बनाइये , विकल्प भी बनेगा , फिलहाल अल्पमत ही सही ।

2 comments:

  1. आपकी यह पोस्ट आज के (०२ नवम्बर, २०१३) ब्लॉग बुलेटिन - ये यादें......दिवाली या दिवाला ? पर प्रस्तुत की जा रही है | बधाई

    ReplyDelete
  2. बहुत सुंदर दीपोत्सव शुभ हो !

    ReplyDelete