विजय दान देथा और कोमल कोठारी ये राजस्थान की दी ऐसी सांस्कृतिक विभूतियां रही हैं , जिन्होंने संस्कृति को उसकी जमीन से जाना है , आकाश से नहीं । धरती से आकाश की ऊर्ध्य यात्रा इनके यहाँ रही है , जो इंसानियत के लिए नए दरवाजे खोलती है और पुराने को इतना नया बना देती है कि दोनों का फर्क ही मालूम नहीं पड़ता । कोमल जी पहले चले गए अब यह दूसरी कड़ी भी विदा हो गयी । संयोग रहा कि रात को ही गाज़ी खान मांगणियार के बाद राजस्थान की शख्सियतों में देथा जी के बारे में एक चेनल पर सुना । देथा जी के जाने से लोक -साहित्य और संस्कृति का एक अध्याय खाली हो गया है । भविष्य में उनका काम ही भविष्य की पीढ़ियों के काम आयगा । विनम्र श्रद्धांजलि ।
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