लम्पटता छूत के रोग की तरह है जो ऊपर से नीचे की ओर फैलती है । जिसे हम सर्वहारा कहते और अपने देश के सन्दर्भ में मानते हैं , वह यदयपि गरीब-शोषित वर्ग है सचेतन सर्वहारा बहुत कम ,। वह उन सभी व्याधियों से ग्रस्त रहा है जो सामाजिक और नैतिक स्तर की व्याधियां हैं । जिस रूस में क्रांति हुई , वहीँ धीरे धीरे विश्वस्तरीय लम्पटता का प्रवेश हो गया । हमारे यहाँ तो जीने का एक अति-पुरातन ढर्रा चला आ रहा है । अभी तो रूढ़ियों-अंधविश्वासों तक से हमारी मुक्ति नहीं । मंगल यान अभियान में लगे वैज्ञानिकों का हाल हमने अभी-अभी देखा है । हमारे भीतर का जो डर और लोभ है उसका इलाज क्या है ? लम्पटता के लिए ये प्रवृतियां जिम्मेदार होती हैं । आदर्श जब गायब हो जाते हैं तो उनकी जगह लम्पटता ही लेती है ।
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