मेघों के बिन बरसे चले जाने पर
डेरा जमता है
बादलों का
जैसे चुनावी सभा में
लाए गए हों लोग किराए पर
अभी तक
जय समंद बाँध में
एक टपका पानी नहीं
सीली सेढ़ भी
तरस रही
ऊपरा चलने को
रूपारेल बह रही है
किसी वृद्धा की
गति की तरह
अरावली पर घिरी
मेघ घटाएं
क्यों हो गयी हैं
सफेदपोश नेताओं -सी
कहीं वैश्वीकरण की हवा
उनको भी तो नहीं लग गयी है
डेरा जमता है
बादलों का
जैसे चुनावी सभा में
लाए गए हों लोग किराए पर
अभी तक
जय समंद बाँध में
एक टपका पानी नहीं
सीली सेढ़ भी
तरस रही
ऊपरा चलने को
रूपारेल बह रही है
किसी वृद्धा की
गति की तरह
अरावली पर घिरी
मेघ घटाएं
क्यों हो गयी हैं
सफेदपोश नेताओं -सी
कहीं वैश्वीकरण की हवा
उनको भी तो नहीं लग गयी है
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