Saturday, 10 August 2013

विडंबना है कि हमारे यहाँ   व्यक्ति के मन में   एक जातिवादी चोर छिपा रहता है । वह गाहे-बगाहे प्रकट हो जाता है । जबकि कोई जाति  विशेष का अमीर व्यक्ति अपनी ही जाति  के गरीब की कोई खोज खबर नहीं लेता । ऐसा होता तो आज के बिरादरीवाद में कोई गरीब, असहाय और लाचार रहता ही नहीं । जातिवाद वोट लेने और गरीब मेहनतकश वर्ग को बहकाने के अलावा शायद ही और कोई काम करता हो । वह यदि किसी के काम आता है तो सिर्फ अमीर वर्ग के । वैसे हालात ये बना दिए गए हैं कि आज सबसे विश्वसनीय "जाति " ही रह गयी है ।

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