Wednesday 7 August 2013

जिन्दगी बोझ सिर्फ उन लोगों के लिए होती है , जो इसे जीते नहीं ,ढोते  हैं । काश, जीने की इस  कला को हम मेहनतकशों -किसानों   से सीख पाते  । साहित्यकार की  पैनी दृष्टि का यही तो कमाल होता है कि वह आदमी को भीतर तक जाकर इस तरह देख लेती  है कि जीवन का औदात्य उझलने  लगता है ।जीवन के वे संघर्ष प्रत्यक्ष होने लगते हैं जो अनुदात्त से लगातार लड़ते हैं और इस प्रक्रिया में झूठ का पर्दाफ़ाश भी करते चलते हैं । इसीलिये  उदातता  की तलाश होती है सरलमना कविता ।

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