हाँ ऐसा ही होता है
जब आसमान अपनी धरती के साथ
दोगला व्यवहार करता है
जब हर समय
झूठ को
तकिये की तरह
गर्दन के नीचे लगाकर
भरी सभा में
भीष्म
एक मनुष्य-विरोधी
सत्ता की रक्षा की
मिथ्या-मर्यादा से
जौंक की तरह चिपका रहता है
हाँ ऐसा ही होता है
जब आग की गवाही
जंगल में उगे विटपों से
दिलाने की कोशिशें होती हैं
हाँ ऐसा ही होता है
जब झूठ के पाँव लगाने की
कोशिशें जारी रहती हैं और
इलाहाबाद के पथ पर
पत्थर तोड़ने वाली के साथ
बार बार बलात्कार होने लगता है
हाँ, ऐसा ही होता है तब ।
जब आसमान अपनी धरती के साथ
दोगला व्यवहार करता है
जब हर समय
झूठ को
तकिये की तरह
गर्दन के नीचे लगाकर
भरी सभा में
भीष्म
एक मनुष्य-विरोधी
सत्ता की रक्षा की
मिथ्या-मर्यादा से
जौंक की तरह चिपका रहता है
हाँ ऐसा ही होता है
जब आग की गवाही
जंगल में उगे विटपों से
दिलाने की कोशिशें होती हैं
हाँ ऐसा ही होता है
जब झूठ के पाँव लगाने की
कोशिशें जारी रहती हैं और
इलाहाबाद के पथ पर
पत्थर तोड़ने वाली के साथ
बार बार बलात्कार होने लगता है
हाँ, ऐसा ही होता है तब ।
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