Saturday 31 August 2013

हाँ ऐसा ही होता है
जब आसमान अपनी धरती के साथ
दोगला व्यवहार करता है
जब हर समय
झूठ को
तकिये की तरह
गर्दन के नीचे लगाकर
भरी सभा में
भीष्म
एक मनुष्य-विरोधी
सत्ता की रक्षा की
मिथ्या-मर्यादा से
जौंक की तरह चिपका रहता है

हाँ ऐसा ही होता है
जब आग  की गवाही
जंगल में उगे विटपों  से
दिलाने की कोशिशें होती हैं

हाँ ऐसा ही होता है
जब झूठ के पाँव लगाने की
कोशिशें जारी रहती हैं और
इलाहाबाद के पथ पर
पत्थर तोड़ने वाली के साथ
बार बार बलात्कार होने लगता है
हाँ, ऐसा ही होता है तब ।








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