इतने पर भी आस्था का पत्थर कुछ खिसकेगा या नहीं या सब पहले की तरह ही चलता रहेगा । "धर्म" के नाम पर कब तक यह धंधा चलेगा और इसमें राजनेता कब तक हिस्सेदारी करते रहेंगे ? दाभोलकर कब तक अपने प्राण देते रहेंगे --ये सवाल हैं जो बार-बार मन को हिलाते हैं । हम कब तक चोर को मारेंगे ,चोर की माँ को नहीं । सिगरेट -दारू सब बनती रहेगी , बस यह चेतावनी लिखी रहेगी कि ---सिगरेट पीना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है ।
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