मालूम हुआ कि कँवल भारती ने वामपंथी नेतृत्त्व को 'रूढ़िवादी ' कहा है । अभिव्यक्ति की आज़ादी है , कुछ भी कहा जा सकता है । वामपंथियों ने अभिव्यक्ति की आज़ादी के लिए अपना कर्तव्य निर्वाह किया था , जो उनको करते रहना चाहिए । वामपंथी कोई --कुम्हडबतियाँ ---नहीं है जो तर्जनी दिखाने मात्र से मुरझा जायेंगे ।
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