Thursday, 22 August 2013

हमारे सच्चे संत कवि  तुलसीदास ने  कपट-वेशी जग-वंचकों   की खबर लेते हुए सचाई को खूब  उजागर किया है । पता नहीं रोज रामायण पाठ कराने और करने वाले लोग कब इस हकीकत को समझेंगे ,जो इनसे और इनकी राजनीति करने वालों से राष्ट्र को कब मुक्ति मिल सकेगी । वह  चौपाई तो सभी को मालूम हैं --------" लखि सुवेश जग वंचक जेऊ । वेश प्रताप पूजिहहि तेऊ ॥ उघरही अंत न होहि निबाहू । कालनेमि जिमि रावण राहू ।।" लेकिन जन-मन से उघडे तब कोई बात बने ।

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