जब लोगों को लोगों का सहारा नहीं मिलता और वह जहां जाता है वहीँ ज्यादातर लोग उसके साथ ठगी करते हैं तो वह , वही करने लगता है जो लुटेरे वर्ग के लोग करते हैं ।शायद उसे भी कुछ प्राप्ति हो जाय , पर कुछ मिलता कहाँ है । इस मामले में देश के शिक्षित समुदाय ने भी कोई बहुत गंभीर भूमिका अदा नहीं की । अविरत सुख और अविरत दुःख दोनों ही अंधविश्वासों को पनपाते हैं ।
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