युद्ध करना ही यदि समस्या का हल होता तो हम रोजमर्रा की जिन्दगी में सोने और खाने के अलावा हर क्षण युद्ध करने में ही तल्लीन रहते । युद्ध कहीं और किसी भी स्थिति में आनंददायी नहीं होता ,जब तक कि पानी सिर से ऊपर नहीं निकल जाय । संघर्ष और युद्ध के बीच एक बारीक सी रेखा होती है । इसलिए संघर्ष तो हमारी रोजमर्रा की जिन्दगी का अंग हो सकता है , युद्ध नहीं । महाभारत से बड़ी युद्ध - कथा शायद ही कोई और युद्ध कथा हो , किन्तु उसके अंत में भी संवाद और शान्ति ही बचती है ।
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