Monday 12 August 2013

युद्ध करना ही यदि समस्या का हल होता तो हम रोजमर्रा की जिन्दगी में सोने और खाने के अलावा हर क्षण युद्ध करने में ही तल्लीन रहते  । युद्ध कहीं और किसी भी स्थिति में आनंददायी नहीं होता ,जब तक कि पानी सिर से ऊपर नहीं निकल जाय । संघर्ष और युद्ध के बीच एक बारीक सी रेखा होती है । इसलिए संघर्ष तो हमारी रोजमर्रा की जिन्दगी का अंग हो सकता है , युद्ध नहीं । महाभारत से बड़ी युद्ध - कथा शायद ही कोई और युद्ध कथा हो , किन्तु उसके अंत में भी संवाद और शान्ति ही बचती है ।

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