Thursday, 8 August 2013

जो फर्क समय के
उलटफेर में हैं
वही 'सुनो कारीगर 'के
कवर के घेर में है
पहला आदमी का है तो
दूसरा उसकी नक़ल का ,
दूसरा नयी हवा का है तो
पहला असल का ।

दोनों के बीच समय
पतंग की तरह
उलझा हुआ है
प्रिय कविवर
जो सुलझना चाहता है ।

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