जो फर्क समय के
उलटफेर में हैं
वही 'सुनो कारीगर 'के
कवर के घेर में है
पहला आदमी का है तो
दूसरा उसकी नक़ल का ,
दूसरा नयी हवा का है तो
पहला असल का ।
दोनों के बीच समय
पतंग की तरह
उलझा हुआ है
प्रिय कविवर
जो सुलझना चाहता है ।
उलटफेर में हैं
वही 'सुनो कारीगर 'के
कवर के घेर में है
पहला आदमी का है तो
दूसरा उसकी नक़ल का ,
दूसरा नयी हवा का है तो
पहला असल का ।
दोनों के बीच समय
पतंग की तरह
उलझा हुआ है
प्रिय कविवर
जो सुलझना चाहता है ।
No comments:
Post a Comment