Thursday, 1 August 2013

डेरा जमता है
बादलों का
जैसे चुनावी सभा में
लाए गए हों लोग किराए पर

अभी तक
जय समंद बाँध में
एक टपका पानी नहीं

सीली  सेढ़ भी
तरस रही
ऊपरा चलने को

रूपारेल बह रही है
किसी वृद्धा की
गति की तरह

अरावली पर घिरी
मेघ घटाएं
क्यों हो गयी हैं
सफेदपोश नेताओं -सी
कहीं वैश्वीकरण की हवा
उनको भी तो नहीं लग गयी है






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