अकेले नहीं हैं वे
उनके साथ प्रतिरोध की
लम्बी कहानी हैं
वे खुशबू की तरंगों में
कृपाण की तरह
प्रस्तुत हुए
अकेले नहीं हैं वे
जिनको सत्ता का मद है
वे नहीं जानते
उसका भूत
उनका ही पीछा करने लगता है
जैसे दुर्गा से
कँवल भारती तक ।
उनके साथ प्रतिरोध की
लम्बी कहानी हैं
वे खुशबू की तरंगों में
कृपाण की तरह
प्रस्तुत हुए
अकेले नहीं हैं वे
जिनको सत्ता का मद है
वे नहीं जानते
उसका भूत
उनका ही पीछा करने लगता है
जैसे दुर्गा से
कँवल भारती तक ।
badhiya kavita .
ReplyDelete