Monday 26 August 2013

यह जो कुआ बन रहा है
और कितना गहरा होगा कि
इसमें धकेल कर
दबा दिया जायगा
तितलियों, भोरों और
वसंत की गायिका कोकिल को

जो मृदंग बज रहा है
शुभ  संकेत नहीं हैं
इसका नाद
सुर से  बाहर है

जो लोग कुआ खोदने  में माहिर हैं
खाईयों का सारा हिसाब उनके ही पास है
इनकी परिक्रमाओं में
प्रेतों का टोना
आखिर कब तक चलता रहेगा ।
अभी भोलापन बहुत बाकी है
और रास्तों की इतनी कमी है
कि बिना समझे लोग
किसी भी रास्ते पर चल पड़ते हैं ।









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