आज सुबह सुबह
जब अलवर के बाला किले पर
मेघ घिरे थे
और दूरदर्शन ---भारत छोडो आन्दोलन की
याद दिला रहा था
मेरा मन
ईद के संग
सावन के महीने में
तीज के हिंडोले पर
झूल रहा था
मुबारकबाद की फुहारें
भिगो रही थी
भीतर तक
काश हर दिन हो ऐसा ही
मेरे लिए नहीं सिर्फ
सबके लिए ।
जब अलवर के बाला किले पर
मेघ घिरे थे
और दूरदर्शन ---भारत छोडो आन्दोलन की
याद दिला रहा था
मेरा मन
ईद के संग
सावन के महीने में
तीज के हिंडोले पर
झूल रहा था
मुबारकबाद की फुहारें
भिगो रही थी
भीतर तक
काश हर दिन हो ऐसा ही
मेरे लिए नहीं सिर्फ
सबके लिए ।
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