बचपन नहीं ,
हमारा परिवेश हमको
सत्य नहीं बोलने देता
बचपन में छोटी-छोटी बातों पर
झूठ बोलता था
तब अम्मा कहती थी ---
"बेटा , भूखे की बगद जाती है
झूठे की कभी नहीं "
नेताओं को बोलते देखकर
अम्मा की
बहुत याद आती है ।
हमारा परिवेश हमको
सत्य नहीं बोलने देता
बचपन में छोटी-छोटी बातों पर
झूठ बोलता था
तब अम्मा कहती थी ---
"बेटा , भूखे की बगद जाती है
झूठे की कभी नहीं "
नेताओं को बोलते देखकर
अम्मा की
बहुत याद आती है ।
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