, धरती-आसमान ,हवा-पानी
सूरज -चाँद -सितारे
आग ,सभी की जरूरत
सभी के प्यारे
इनके रिश्तों के पीछे
एक तर्क है
पर सचाई और वास्तविकता में
कितना फर्क है
वास्तविकता इतनी प्रबल है कि
सचाई का बेड़ा गर्क है
जैसे हिन्दू-मुसलमान
वास्तविकता है ,
सचाई नहीं
जैसे बिरादरी वास्तविकता है
सचाई नहीं
वास्तविकता ,सचाई पर बोझ है
ये आपस में जितनी दूर हैं
सभ्यता उतनी ही बेरहम
और क्रूर है ।
सूरज -चाँद -सितारे
आग ,सभी की जरूरत
सभी के प्यारे
इनके रिश्तों के पीछे
एक तर्क है
पर सचाई और वास्तविकता में
कितना फर्क है
वास्तविकता इतनी प्रबल है कि
सचाई का बेड़ा गर्क है
जैसे हिन्दू-मुसलमान
वास्तविकता है ,
सचाई नहीं
जैसे बिरादरी वास्तविकता है
सचाई नहीं
वास्तविकता ,सचाई पर बोझ है
ये आपस में जितनी दूर हैं
सभ्यता उतनी ही बेरहम
और क्रूर है ।
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