पाताल भुवनेश्वर हैं जैसे उत्तराखंड में
वैसे ही हैं छत्तीसगढ़ में
कोटमसर की गुफा
सिरजा है प्रकृति ने
अपने आवासों को सबके लिए
इन पर किसी एक धन्नासेठ का कब्जा नहीं
प्रकृति से बड़ा उदार और
विशाल ह्रदय कौन है
इस धरती पर
पाताल भुवनेश्वर में
मैं और केशव भाई
इस अंधी गुफा में नीचे नहीं उतरे थे
जैसे पहली बार कोटमसर में मेरी
सांस फूल गयी थी
पर कविमित्र शाकिर अली , विजय सिंह के साथ
पैठ गुए थे गुफा में
कविमित्र अग्निशेखर
दूसरी बार फिर बस्तर जाना हुआ
तो नाट्यकर्मी, कवि और सफल आयोजक विजय सिंह
फिर से ले गए थे कोटमसर
दंडकारण्य
इस बार तो गुफा के आकर्षण ने
खींच लिया था अपने भीतर
ऐसा लगा जैसे उत्तराखंड
का पाताल भुवनेश्वर
छत्तीसगढ़ में कोटमसर बन
अपना रूप परिवर्तन कर
समझा रहा था
कि आदमी को अभी भी
हमसे बहुत कुछ सीखने की जरूरत है ।
वैसे ही हैं छत्तीसगढ़ में
कोटमसर की गुफा
सिरजा है प्रकृति ने
अपने आवासों को सबके लिए
इन पर किसी एक धन्नासेठ का कब्जा नहीं
प्रकृति से बड़ा उदार और
विशाल ह्रदय कौन है
इस धरती पर
पाताल भुवनेश्वर में
मैं और केशव भाई
इस अंधी गुफा में नीचे नहीं उतरे थे
जैसे पहली बार कोटमसर में मेरी
सांस फूल गयी थी
पर कविमित्र शाकिर अली , विजय सिंह के साथ
पैठ गुए थे गुफा में
कविमित्र अग्निशेखर
दूसरी बार फिर बस्तर जाना हुआ
तो नाट्यकर्मी, कवि और सफल आयोजक विजय सिंह
फिर से ले गए थे कोटमसर
दंडकारण्य
इस बार तो गुफा के आकर्षण ने
खींच लिया था अपने भीतर
ऐसा लगा जैसे उत्तराखंड
का पाताल भुवनेश्वर
छत्तीसगढ़ में कोटमसर बन
अपना रूप परिवर्तन कर
समझा रहा था
कि आदमी को अभी भी
हमसे बहुत कुछ सीखने की जरूरत है ।
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