आज अभी केशव भाई के मार्फ़त जमुई खां 'आज़ाद' का अवधी में आज के यथार्थ पर रचा गीत सुना । गाया है युवा हिरावल समूह ने । इसमें भीतर तक झकझोरती है हमारे लोक की सामूहिकता की ताकत , जो संगीत की लोक धुन और हारमोनियम ,ढोलक ,झांझ, और चिमटा की समिश्रित लयकारी में रोमांचित करता है । ढोलक की थाप पर गीत आगे बढ़ता जाता है । जनेवि के विद्यार्थी इसको जिस तन्मयता और भावुकता से सुन रहे हैं वह बतलाता है कि आज भी ज़माना अपनी जमीन की खुशबू को सूंघना चाहता है । हमारी जनपदीय भाषाओं में आज भी ह्रदय को हिला देने की ताकत है बशर्ते कि हमारी आत्म समृद्धि और अपनी तैयारी भी हो । हिरावल ग्रुप को हार्दिक बधाई और केशव जी को धन्यवाद ।
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