लाला जगदलपुरी बस्तर की आदिवासी लोक संस्कृति के निजंधरी पुरुष थे । जगदलपुर वासी कवि- मित्र विजय सिंह के बुलावे पर 'सूत्र सम्मान 'के आयोजन में मेरा दो बार जगदलपुर जाना हुआ । एक बार लाला जगदलपुरी से भी विजय सिंह जी के साथ उनसे भेंट करने का सुख प्राप्त किया । दिल्ली से बहुत दूर रहकर बिना कोई सम्मान -पुरस्कार की कामना किये अपने काम में लगे रहने की सीख उनसे आज ली जा सकती है । अपनी जगह को व्यापक विश्व दृष्टि के साथ साधे रहने का अभ्यास बहुत कम लोगों को होता है । यह लाला जगदलपुरी को था । इस भेंट में केशव तिवारी ---आज के सर्वाधिक चर्चित कवि ----का साथ भी मुझे मिला । उनको ही उस वर्ष " सूत्र सम्मान " से नवाज़ा गया था । लाला जी की स्मृति को प्रणाम ।
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